बिहार में चुनावी सरगर्मी तेज : …तो महागठबंधन को होगा और नुकसान

बिहार में चुनावी सरगर्मी तेज हो गई है। दरअसल कोरोना काल में बिहार में विधानसभा चुनाव होने जा रहा है। सुशासन बाबू नीतीश कुमार काफी समय से सत्ता में बने हुए लेकिन इस बार उनकी राह आसान नहीं लग रही है। लालू के लाल तेजस्वी लगातार नीतीश को आइना दिखा रहे हैं जबकि नीतीश के साथी लोकजन शक्ति पार्टी के चिराग पासवान भी नीतीश के सामने सबसे बड़ा रोड़ा है।

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हालांकि चिराग लाख नीतीश को नसीहत दे लेकिन एनडीए के लिए बिहार में वहीं चेहरा है। इसका मतलब यह है कि नीतीश कुमार एक बार फिर बिहार में मुख्यमंत्री के तौर अपना दावा पेश कर रहे हैं।

बीजेपी ने सारे कयासों पर विराम लगा दिया है और अमित शाह ने भी ऐलान करते हुए कहा कि नीतीश ही करेंगे बिहार विधानसभा चुनाव की अगुवाई लेकिन महागठबंधन से कौन सा चेहरा होगा इसको लेकर अब भी तय नहीं है। हालांकि बताया जा रहा है लालू परिवार से ही महागठबंधन का नेता सामने आ सकता है।

तेजस्वी यादव इस रेस में सबसे आगे हैं लेकिन उनको लेकर अभी तक आम राय नहीं बन पाई है। हालांकि कुछ लोग इस चुनाव को लालू बनाम नीतीश भी देख रहे हैं। भले ही लालू जेल में हो लेकिन उनकी पैनी नजर बनी हुई है।

उधर पप्पू यादव ने लालू यादव से अपील की थी कि बिहार को बचाने के लिए आगे आए। जन अधिकार पार्टी (लो) अध्यक्ष राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव ने इस बार लालू प्रसाद से चुनाव में लोगों को बड़ी उम्मीदें हैं। उनके निर्णय को पूरा बिहार देख रहा है। बिहार को बचाने के लिए जन अधिकार पार्टी बिना शर्त समर्थन देने को तैयार है।

उधर बिहार की राजनीति नजदीक देखने वाले वरिष्ठ  पत्रकार प्रियरंजन बताते हैं कि यह बात सही है कि महागठबंधन के पास ज्यादा विकल्प नहीं है।

उन्होंने कहा कि तेजस्वी यादव ही महागठबंधन के चेहरे होगे। हालांकि अभी तक इसकी घोषणा नहीं की गई लेकिन इतना तय है कि महागठबंधन से सीएम का चेहरा लालू परिवार से ही होगा।

उन्होंने महागठबंधन अगर और देरी करेगे तो उसे चुनाव में इसका नुकसान हो सकता है। जहां तक पप्पू यादव की बात है तो बिहार में उनकी पार्टी कोई खास करिशमा नहीं पायेगी।

पिछले चुनाव में क्या थे हालात

वैसे इस चुनाव में पिछले चुनाव की तुलना में परिस्थितियां बदली हुई हैं। दरअसल पिछले चुनाव में जेडीयू महागठबंधन में आरजेडी और कांग्रेस के साथ शामिल थी और सीएम के तौर नीतीश पहली पसंद थे लेकिन उन्होंने अपना पाला बदल लिया था और बीच में ही बीजेपी से जा मिले थे।

ऐसे में एक बार फिर एलडीए की अगुवाई कर रहे है जबकि राष्ट्रीय लेाक समता पार्टी विपक्षी दलों के महागठबंधन में कांग्रेस और आरजेडी के साथ है लेकिन महागठबंधन में मुख्यमंत्री चेहरा कौन होगा इसको लेकर अब भी एक राय नहीं बनती दिख रही है।

तेजस्वी पर क्या कहना है महागठबंधन के नेताओं का

बिहार प्रदेश कांग्रेस कमेटी के कार्यकारी अध्यक्ष सुरेंद्र सिंह धीरज ने सीएम के चेहरे को लेकर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा है कि महागठबंधन में मुख्यमंत्री का चेहरा कौन होगा इस बारे में अंतिम फैसला पार्टी आलाकमान ही लेगा। ऐसा इसलिए क्योंकि 42 सालों से परंपरा यही रही है कि हमलोग आलाकमान के आदेश के अनुसार ही अपनी रणनीति तय करते हैं।

क्या सच में लालू बनाम नीतीश होने जा रहा ये चुनाव

पिछले विधानसभा चुनाव लालू-नीतीश एक साथ मंच पर आए थे लेकिन इस बार हालात पूरी तरह से बदले हुए है। जेडीयू सांसद सुनील कुमार पिंटू ने बड़ा बयान देते हुए कहा था कि बिहार में जो चुनाव हो रहा है उसमें लड़ाई मुख्यमंत्री नीतीश कुमार बनाम लालू प्रसाद यादव की होगी।  उन्होंने साफ कर दिया था कोई कुछ कहे लेकिन सच यही है बिहार में इन्हीं दो चेहरे पर विधानसभा चुनाव लड़ा जाएगा।

उन्होंने कहा था कि बिहार में 15 साल बनाम 15 साल की लड़ाई है। 15 साल लालू यादव के नेतृत्व में कैसे विनाश हुआ और 15 साल नीतीश कुमार के नेतृत्व में कैसे विकास हुआ यही थीम रहेगा। 15 साल लूट अपहरण भ्रष्टाचार रहा उसके बाद 15 साल विकास रहा। तेजस्वी यादव तो अभी बच्चे हैं उनके बारे में क्या कहना है? तेजस्वी तो ट्विटर बॉय हैं।

आरजेडी ने ढाई साल पहले ही इस बात की घोषणा कर दी थी कि 2020 विधानसभा चुनाव में तेजस्वी यादव ही मुख्यमंत्री का चेहरे होंगे लेकिन अब तक उनके नाम पर अन्य दलों ने हामी नहीं भरी है। ऐसे में महागठबंधन को इसका नुकसान हो सकता है।

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