लखनऊ। तीन कृषि बिलों के खिलाफ चल रहे किसान आंदोलन को लेकर सियासत तेज है। गणतंत्र दिवस पर लाल किला पर बवाल के बाद शुरू हुई कार्रवाई को लेकर विपक्षी दल सरकार को घेरने में जुट गए हैं। शुक्रवार को बहुजन समाज पार्टी (BSP) की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती ने संसद सत्र में राष्ट्रपति के भाषण का बहिष्कार करते हुए तीनों कृषि बिल वापस लेने की मांग की है। उन्होंने कहा कि, गणतंत्र दिवस पर दंगे की आड़ में निर्दोष किसान नेताओं का बलि का बकरा न बनाया जाए।
मायावती ने राष्ट्रपति के भाषण निराशाजनक बताया
मायावती ने संसद सत्र में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के दिए गए भाषण पर कहा कि संसद के संयुक्त अधिवेशन में राष्ट्रपति का अभिभाषण खासकर किसानों व गरीबों आदि के लिए घोर निराशाजनक। कृषि के क्षेत्र में देश को आत्मनिर्भर बनाने वाला किसान तीन कृषि कानूनों की वापसी को लेकर काफी आंदोलित है व सरकारी प्रताड़ना झेल रहा है।
उस पर सरकारी चुप्पी दुखद। BSP केन्द्र सरकार द्वारा काफी अपरिपक्व तरीके से लाए गए नए कृषि कानूनों का संसद में व संसद के बाहर हमेशा विरोध किया है। देश के गरीबों, दलितों व पिछड़ों आदि की तरह किसानों के शोषण व अन्याय के विरूद्ध व इनके हक के लिए भी BSP हमेशा आवाज उठाती रहेगी।
BKU की आपत्ति में सच्चाई, सरकार ध्यान दे
मायावती ने यह भी कहा कि BSP ने देश के आंदोलित किसानों के तीन विवादित कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग नहीं मानने व जनहित आदि के मामलों में भी लगातार काफी ढुलमुल रवैया अपनाने के विरोध में, आज राष्ट्रपति के संसद में होने वाले अभिभाषण का बहिष्कार करने का फैसला लिया है।
साथ ही, कृषि कानूनों को वापस लेकर दिल्ली आदि में स्थिति को सामान्य करने का केंद्र पुन: अनुरोध तथा गणतंत्र दिवस के दिन हुए दंगे की आड़ में निर्दोष किसान नेताओं को बलि का बकरा न बनाए। इस मामले में यूपी के भारतीय किसान यूनियन (BKU) व अन्य नेताओं की आपत्ति में भी काफी सच्चाई। सरकार ध्यान दे।