फलस्तीनियों ने इसराइल से वैक्सीन लेने से क्यों किया इनकार

नई दिल्ली। कोरोना महामारी से जूझ रहे दुनिया के अधिकांश देशों में तेजी से कोरोना वैक्सीनेशन हो रहा है। जानकारों की माने तो कोरोना महामारी से निजात तभी मिलेगी जब सभी को टीका लग जायेगा। जहां एक ओर कोरोना टीकाकरण पर जोर दिया जा रहा है तो वहीं फलस्तीनी प्रशासन ने इसराइल के 10 लाख कोविड वैक्सीन देने के सौदे को रद्द कर दिया है।

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फलस्तीनी प्रशासन ने इसका कारण बताते हुए कहा है कि फाइजर की वैक्सीन एक्सपायरी डेट के बहुत नजदीक है।

इससे पहले इसराइल ने कहा था कि अधिक पुरानी वैक्सीन की अब जरूरत नहीं है। इन्हें फलस्तीनी टीकाकरण कार्यक्रम में तेजी लाने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है। इसके बदले में फलस्तीनियों को इसराइल को उतनी ही वैक्सीन देनी होगी जितनी उसे इस साल के आखिर में फाइजर संगठन से मिलने की उम्मीद है।

इसराइल से कोरोना टीके की जब पहली खेप पहुंची तो फलस्तीनी अधिकारियों ने कहा कि उन्हें जितनी उम्मीद थी एक्सपायरी डेट उससे भी अधिक पास है।

अधिकारियों ने कहा कि इन्हें इस्तेमाल के लिए बहुत समय नहीं है और इसलिए सौदे को रद्द कर दिया गया।

फलस्तीनी प्रशासन के प्रवक्ता इब्राहिम मेलहेम ने कहा था कि 90,000 टीकों की शुरुआती डिलीवरी ‘सौदे की विशेषताओं को पूरा करने में नाकाम साबित हुई है और प्रधानमंत्री मोहम्मद शतायेह के मुताबिक उन्होंने स्वास्थ्य मंत्री को सौदे को रद्द करने के निर्देश दिए।’

प्रवक्ता मेलहेम ने कहा कि इसके बजाय प्रशासन सीधे फाइजर को दिए ऑर्डर के लिए इंतजार करेगा। शुक्रवार को किए गए ट्वीट में इसराइल के नए स्वास्थ्य मंत्री नित्जान होरोवित्ज ने कहा था कि ‘कोरोना वायरस किसी सीमा को नहीं जानता है और लोगों के बीच भेद नहीं करता है।’

उन्होंने कहा था कि ‘वैक्सीन को लेकर महत्वपूर्ण अदला-बदली’  दोनों के हितों में है और उन्होंने उम्मीद जताई थी कि ‘इसराइल और फलस्तीन के बीच सहयोग और अन्य क्षेत्रों में भी होगा।’

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