कहीं फैलकर रूस तक न पहुंच जाए तालिबान?

मास्को। अफगानिस्तान में तालीबान के आतंक के बीच रूस ने संभावित खतरों को रोकने के लिए ताजिकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच सीमावर्ती इलाकों में सैन्य उपकरण भेजे हैं। दरअसल, रूस पड़ोसी देशों में अस्थिरता के संभावित फैलाव को लेकर चिंतित है।

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हाल के हफ्तों में, पुलिस और सरकारी सैनिकों सहित सैकड़ों अफगान देश छोड़कर सीमावर्ती देशों ताजिकिस्तान और उज्बेकिस्तान में प्रवेश कर गए हैं। तालिबान ने पड़ोसी देशों से लगी अफगानिस्तान की 90 फीसदी सीमा पर कब्जा करने का दावा किया है। हाल ही में यह बताया गया था कि रूस 17 इंफैंट्री फाइटिंग व्हीकल के साथ ताजिकिस्तान में अपने सैन्य अड्डे को मजबूत करेगा।

ताजिकिस्तान रूसी जमीनी बलों के 201वें सैन्य अड्डे पर  6,000 से अधिक रूसी सैनिकों की मेजबानी कर रहा है। ये अड्डे विदेशी धरती पर रूस के कुछ सैन्य स्थलों में से एक है। रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने इस महीने की शुरुआत में कहा था, “हम अपने सहयोगियों के खिलाफ किसी भी आक्रामक अतिक्रमण को रोकने के लिए अफगानिस्तान के साथ ताजिकिस्तान की सीमा पर रूसी सैन्य अड्डे का उपयोग करने सहित सब कुछ करेंगे।”

इधर, ताजिकिस्तान के राष्ट्रपति इमोमाली रहमोन ने एक सैन्य अभ्यास के दौरान ताजिक सेना को संबोधित करते हुए कहा कि अफगानिस्तान में स्थिति नाजुक बनी हुई है। साथ ही उन्होंने कहा था कि उनका देश अफगानिस्तान से आ रहे संभावित खतरों का सामना करने के लिए पूरी तरह से तैयार है।

बता दें कि अफगानिस्तान से अमेरिकी सेना की वापसी के साथ ही तालिबान अफगान सुरक्षा बलों पर भारी पड़ रहे हैं। कंधार के अपने पूर्व गढ़ के साथ ही तालिबान ने एक तिहाई जिलों पर कब्जा करने का दावा किया है।  बुधवार को, तालिबान ने पाकिस्तान के साथ अफगानिस्तान के प्रमुख सीमा क्रॉसिंग में से एक पर कब्जा कर लिया। समाचार एजेंसी रॉयटर्स के अनुसार, यह उन सबसे महत्वपूर्ण उद्देश्यों में से एक है जिसे तालिबान ने अब तक देश भर में तेजी से आगे बढ़ने के दौरान हासिल किया है।

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