उपेंद्र कुशवाहा ने फिर की जातिगत जनगणना की वकालत, कहा…

नवादा।  जदयू संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा (JDU Parliamentary Board President Upendra Kushwaha) ने कहा है कि जातिगत जनगणना (Caste Census) की मांग समाज में समानता लाने व सामाजिक विषमता को मिटाने के लिए की जा रही है। आजादी के बाद कभी भी देश में जातीय जनगणना नहीं हुई है। 1931 में ब्रिटिश सरकार के दौरान हुआ था। 100 साल होने जा रहे हैं। ऐसे में काफी कुछ बदला है। सरकार की योजनाओं का लाभ उन तबके के लोगों तक नहीं पहुंच रही है, जिन्हें इसकी सख्त जरूरत है।

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आलम ये कि अब वर्ग के अंदर अलग वर्ग बन गया है। कुछ संपन्न हो गए तो कुछ पीछे छूट गए हैं। जातिगत जनगणना से समाज की सही तस्वीर सामने आएगी। फिर उनके अनुसार योजना-कार्यक्रम बनाने में सरकार को सहूलियत होगी। सुप्रीम कोर्ट ने भी सरकार से सरकारी योजनाएं बनाने से संबंधित सवाल किए थे, तो सरकार के पास जवाब नहीं था।

कहा कि स्पष्ट तौर पर मेरा मानना है कि गणना से जातीय तनाव नहीं होगा। धर्म के आधार पर गणना होती रही है। जातीय गणना से भी परेशानी नहीं होगी। बिहार यात्रा पर शुक्रवार को नवादा पहुंचे श्रीकुशवाहा शनिवार की सुबह परिसदन में प्रेस वार्ता के दौरान उक्त बातें कही।

अपनी यात्रा के बावत कहा कि बिहार में फिर से जदयू को सबसे बड़ी पार्टी बनाने का प्रयास चल रहा है। यात्रा के क्रम में गांवों तक जाकर कार्यकर्ताओं से मिला। गांवाें में व्यापक समर्थन पार्टी व सरकार को मिल रहा है। कार्यकर्ता संगठन की मजबूती के काम में लगे हुए हैं। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) के काम-काज से जनता संतुष्ट हैं। सरकार सभी प्रकार के लोगों के लिए काम कर रही है। कार्यकर्ता सरकार की नीतियों व कार्यक्रमों को आम लोगों तक पहुंचाएं। सरकार की योजनाओं का लाभ जरूरतमंदों तक पहुंचाएं।

एक  सवाल पर कहा कि नवादा के लोग आश्वस्त रहें, यहां केंद्रीय विद्यालय खुलेगा। शिक्षा सुधार के सवाल पर कहा कि  इस दिशा में काम शुरू हो गया है। बिहार के शिक्षा मंत्री केंद्र सरकार के शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान से मिलकर एमडीएम को शिक्षकों से वापस लेकर स्वयं सेवी संस्था को सौंपने की मांग कर चुके हैं। मौके पर पूर्व विधायक कौशल यादव, पूर्व विधायक प्रदीप महतो, पूर्व विधायक रणविजय सिंह, प्रदेश उपाध्यक्ष रेखा गुप्ता, जिला उपाध्यक्ष नारायण स्वामी मोहन, विनय यादव, जयशंकर चंद्रवंशी आदि मौजूद थे।

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