लखनऊ। यदि किसी व्यक्ति की अवैध रूप से हिरासत प्रमाणित पाई जाती है तो पीड़ित व्यक्ति को 25 हजार रुपये की धनराशि का भुगतान मुआवजे के रूप में किया जाएगा। इसके साथ ही अवैध हिरासत किए जाने के उत्तरदाई अधिकारी के विरुद्ध भी दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी।
शासन ने इस संबंध में गुरुवार को आदेश जारी किया। इसमें शांति-व्यवस्था कायम रखने के उद्देश्य से दंड प्रक्रिया संहिता 1973 की धारा 107/116/151 के तहत कार्यकारी मजिस्ट्रेट को प्राप्त शक्तियों के क्रियान्वयन के विषय में विस्तृत दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं। शासन ने यह फैसला उच्च न्यायालय के निर्देश पर लिया है।
हाईकोर्ट ने इस विषय में एक उचित कार्य प्रणाली विकसित किए जाने के लिए यथोचित दिशा-निर्देश जारी करने को कहा था। शासन ने डीजीपी, सभी जोनल एडीजी, पुलिस कमिश्नर व आईजी-डीआईजी रेंज के अलावा सभी जिलाधिकारियों व पुलिस कप्तानों से दिशा-निर्देशों का कड़ाई से अनुपालन करने को कहा है।
सभी जिला मजिस्ट्रेटों तथा उसके अधीनस्थ कार्यपालक मजिस्ट्रेटों व विशेष कार्यपालक मजिस्ट्रेटों कहा है कि दंड प्रक्रिया संहिता में उन्हें दी गई शक्तियां, उनके क्षेत्राधिकार में शांति-व्यवस्था एवं लोक प्रशांति बनाए रखने के लिए है। इनका पालन हमेशा गुण-दोष के आधार पर न्यायिक मस्तिष्क का प्रयोग करते हुए निर्धारित प्रक्रिया के अनुसार किया जाए, ताकि आम जन को संविधान से प्राप्त मौलिक अधिकार संरक्षित रहे।