जयराम रमेश ने क्यों कहा-शतरंज की कुछ चालें बाकी हैं?

प्रियंका जी तो कोई भी उपचुनाव लड़कर सदन पहुंच जायेंगी. आज स्मृति ईरानी की सिर्फ यही पहचान है कि वो राहुल गांधी के खिलाफ अमेठी से चुनाव लड़ती हैं। अब स्मृति ईरानी से वो शोहरत भी छिन गई। अब बजाय व्यर्थ की बयानबाजी के, स्मृति ईरानी स्थानीय विकास के बारे में जवाब दें, जो बंद किए अस्पताल, स्टील प्लांट और IIIT हैं, उस पर जवाब देना होगा। शतरंज की कुछ चालें बाकी हैं, थोड़ा इंतजार कीजिए : जयराम रमेश 

Advertisement

लखनऊ। लोकसभा चुनाव के दो चरण के मतदान हो चुके हैं और तीसरा चरण सात मई को होने वाला है लेकिन उससे पहले कांग्रेस ने दो अहम सीट पर रायबरेली और अमेठी को लेकर बड़ा फैसला लेकर सबको चौंका डाला है। इतना ही नहीं कांग्रेस के इस फैसले से बीजेपी को मुश्किल में जरूर डाला है।

बता दें कि राहुल गांधी को रायबरेली से और किशोरी लाल शर्मा को अमेठी से चुनावी मैदान में उतारा है। कांग्रेस के इस कदम से एक बात तो तय हो गई है कि प्रियंका गांधी एक बार फिर लोकसभा चुनाव नहीं लड़ने जा रही है।

इससे पहले कई तरह के कयास लग रहे थे कि प्रियंका गांधी रायबरेली और अमेठी से चुनाव लड़ सकती है लेकिन शुक्रवार की सुबह तक तस्वीर साफ हो गई और तय हो गया कि प्रियंका गांधी इस बार भी चुनाव नहीं लड़ रही है और राहुल गांधी को चुनावी मैदान में उतारा गया है।

इस पर कांग्रेस महासचिव (संचार) जयराम रमेश ने खुलकर बयान दिया है। कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा, राहुल गांधी जी की रायबरेली से चुनाव लड़ने की खबर पर बहुत सारे लोगों की बहुत सारी राय हैं। लेकिन वह राजनीति और शतरंज के मंजे हुए खिलाड़ी हैं और सोच समझ कर दांव चलते हैं।

ऐसा निर्णय पार्टी के नेतृत्व ने बहुत विचार विमर्श करके बड़ी रणनीति के तहत लिया है। इस निर्णय से BJP, उनके समर्थक और चापलूस धराशायी हो गये हैं। बेचारे स्वयंभू चाणक्य जो ‘परंपरागत सीट’ की बात करते थे, उनको समझ नहीं आ रहा अब क्या करें?

जयराम रमेश ने कहा, रायबरेली सिर्फ सोनिया जी की नहीं, खुद इंदिरा गांधी जी की सीट रही है। यह विरासत नहीं, जिम्मेदारी है, कर्तव्य है। रही बात गांधी परिवार के गढ़ की तो अमेठी-रायबरेली ही नहीं, उत्तर से दक्षिण तक पूरा देश गांधी परिवार का गढ़ है। राहुल गांधी तो तीन बार उत्तर प्रदेश से और एक बार केरल से सांसद बन गए, लेकिन मोदी जी विंध्याचल से नीचे जाकर चुनाव लड़ने की हिम्मत क्यों नहीं जुटा पाये?

एक बात और साफ है कि कांग्रेस परिवार लाखों कार्यकर्ताओं की अपेक्षाओं उनकी आकांक्षाओं का परिवार है। कांग्रेस का एक साधारण कार्यकर्ता ही बड़े बड़ों पर भारी है। कल एक मूर्धन्य पत्रकार अमेठी के किसी कार्यकर्ता से व्यंग में कह रही थीं कि आप लोगों का नंबर कब आएगा टिकट मिलने का? लीजिए, आ गया। कांग्रेस का एक आम कार्यकर्ता अमेठी में BJP का भ्रम और दंभ दोनों तोड़ेगा।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here