इलाहाबाद हाईकोर्ट : बेटा पिता नहीं नाना के पास ही रहेगा, पिता की मांग खारिज

प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश पर नाबालिग अंशुमान पुलिस की सुरक्षा में बुधवार को हाईकोर्ट में पेश कराया गया। कोर्ट ने उसके मजिस्ट्रेट के समक्ष दिए बयान को पढ़ा और बच्चे को देखने के बाद यह निर्णय लिया कि उसकी अभिरक्षा नाना के पास ही रहेगा।
लड़के को नाना की कस्टडी से छीनकर अपने कस्टडी में रखने की पिता व अन्य की याचिका आज जस्टिस जे जे मुनीर ने खारिज कर दिया। सरकार की तरफ से अपर महाधिवक्ता विनोद कान्त व अरविंद कुमार ने पक्ष रखा तथा पुलिस की सुरक्षा में लाए गए नाबालिग अंशुमान को कोर्ट में हाजिर कराया।
मालूम हो कि हाईकोर्ट ने पिता की गुहार पर नाना द्वारा जबरन रोक कर रखे जाने के आरोप पर बेटे को 17 जून को पूरी सुरक्षा के साथ दो बजे कोर्ट में पेश करने का निर्देश दिया था। कोर्ट ने एसएसपी एवं सीएमओ कानपुर नगर को आदेश दिया था कि नाबालिग बच्चे को कानपुर से इलाहाबाद आते व वापस जाते समय यह सुनिश्चित करे कि उसे कोई इंफेक्शन या बीमारी न होने पाये।
कोर्ट ने खर्च के लिए याची पिता को 15 जून तक महानिबंधक के समक्ष 15 हजार रूपये नकद जमा करने का निर्देश भी दिया था। यह आदेश कोर्ट ने मधुसूदन व अन्य की बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर दिया है।
याची का कहना था कि उसके बेटे अंशुमान सचान को नाना प्रमोद सचान ने जबरन निरुद्ध कर लिया है। उनसे मुक्त कराकर याची को अभिरक्षा सौंपी जाय। कोर्ट ने 8 जून को एसएसपी कानपुर नगर को लड़के को चीफ मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट के सामने पेश करने और मजिस्ट्रेट को उसका बयान दर्ज कर प्रेषित करने को कहा था।
कोर्ट ने मजिस्ट्रेट के समक्ष दिए बयान को देखने व लड़के की बात सुनने के बाद याचिका खारिज कर दी। अंशुमान अपने नाना के साथ कानपुर नगर के सजेती थाना क्षेत्र के बरीपाल गांव में रह रहा है।
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