इमरान की मुश्किल: अगले महीने FATF में ब्लैक लिस्ट हो सकता है पाकिस्तान

वॉशिंगटन। इमरान सरकार की मुश्किलों में फिर इजाफा होने जा रहा है। अगले महीने होने जा रही फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) की मीटिंग में भी पाकिस्तान के ग्रे लिस्ट से निकलने की कोई उम्मीद नहीं है। इसकी वजह यह है कि इमरान खान सरकार अब भी हाफिज सईद के जमात-उद-दावा (JuD) और जैश-ए-मोहम्मद (JeM) के खिलाफ ठोस कार्रवाई नहीं कर रही है। यह जानकारी एक मीडिया रिपोर्ट के जरिए सामने आई है।

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फिलहाल ग्रे लिस्ट में
पाकिस्तान तीन साल से ग्रे लिस्ट में है। 2018 में उसे इस लिस्ट में रखा गया था। FATF ने पिछले साल उसे 23 पॉइंट का एक प्रोग्राम सौंपा था। संगठन ने कहा था कि न सिर्फ इन शर्तों को पूरा करना है बल्कि, इसके पुख्ता सबूत भी देने होंगे। अब greekcitytimes की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि इमरान सरकार की कार्रवाई से FATF संतुष्ट नहीं है। बहुत मुमकिन है कि उसे ब्लैक लिस्ट किया जाए या आखिरी चेतावनी के तौर पर ग्रे लिस्ट में ही रखा जाए।

आतंकी संगठनों को अब भी फंडिंग
रिपोर्ट के मुताबिक, FATF के पास इस बात की जानकारी है कि पाकिस्तान सरकार ने अब तक जेयूडी और जैश के खिलाफ ठोस कार्रवाई नहीं की है। ये दोनों ही संगठन पाकिस्तान की जमीन से बेखौफ काम कर रहे हैं। अमेरिका ने भी पिछले दिनों कहा था कि पाकिस्तान को आतंकी संगठनों की पनाहगाह के तौर पर इस्तेमाल होने से रोकना होगा। अमेरिका के लिए अफगानिस्तान में दिक्कतें पाकिस्तान की वजह से ही बढ़ रही हैं।

चेतावनी भी दी थी
FATF के प्रेसिडेंट मार्कस प्लीयर ने अक्टूबर की रिव्यू मीटिंग में कहा था- पाकिस्तान की कार्रवाई में बेहद गंभीर खामियां सामने आई हैं। हम उसे एक मौका और दे रहे हैं। इस बारे में फरवरी में विचार किया जाएगा। हम चाहते हैं कि कार्रवाई से पहले वहां की सरकार को एक मौका और दिया जाए। इसके बाद तय किया जाएगा कि क्या एक्शन लिया जाए। हम हमेशा राहत नहीं दे सकते।

रिपोर्ट के मुताबिक, FATF के पास कुछ इंटेलिजेंस वीडियो फुटेज मौजूद हैं, इनसे पता लगता है कि जमात और जैश के आतंकी सरगना अब भी खुलेआम काम कर रहे हैं। एक वीडियो अक्टूबर 2020 का है।

फंस जाएंगे इमरान
अगर अगले महीने पाकिस्तान ग्रे लिस्ट में ही रहता या ब्लैक लिस्ट होता है तो दोनों हालात में इमरान खान मुश्किल में आ जाएंगे। खस्ता हाल अर्थव्यवस्था को उनकी सरकार ठीक नहीं कर पाएगी और दुनिया का कोई भी संगठन उन्हें आर्थिक मदद नहीं दे सकेगा। घरेलू मोर्चे पर विपक्ष को उन्हें घेरने का एक मौका और मिल जाएगा। वे पहले ही काफी दबाव में हैं और विपक्ष का आरोप है कि सिर्फ सेना की मदद की वजह से वे सरकार चला रहे हैं।

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