नई दिल्ली। पंजाब के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद से ही जिस अंदाज में कैप्टन अमरिंदर सिंह लगातार पाकिस्तान और राष्ट्रीय सुरक्षा का राग अलाप रहे हैं, उसे देखते हुए उनके राजनीतिक भविष्य को लेकर कई तरह के कयास लगने शुरू हो गए हैं।
राष्ट्रवाद, सीमा सुरक्षा, आतंकवाद और पाकिस्तान जैसे तमाम मुद्दों को भाजपा लगातार उठाती रहती है। इसलिए अब यह कहा जाने लगा है कि क्या कैप्टन अमरिंदर सिंह भाजपा के सुर में सुर मिलाते नजर आ रहे हैं? जिस अंदाज में इस्तीफा देने के बाद उन्होने कहा कि नवजोत सिंह सिद्धू को मुख्यमंत्री बनाने से पंजाब और देश की सुरक्षा को खतरा हो सकता है और यह बात वो कई बार कांग्रेस आलाकमान को बता चुके हैं, उससे इन कयासों को बल मिल रहा है कि वो धीरे-धीरे भाजपा के पिच पर आते जा रहे हैं।
पंजाब कांग्रेस में चल रहे घमासान पर आईएएनएस से बातचीत करते हुए पंजाब के होशियारपुर से भाजपा के लोकसभा सांसद एवं मोदी सरकार में वाणिज्य और उद्योग राज्य मंत्री सोम प्रकाश ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा, “मुख्यमंत्री को हटा कर कांग्रेस ने यह खुद मान लिया है कि साढ़े चार साल में पंजाब की कांग्रेस सरकार हर मोर्चे पर फेल रही है। ”
उन्होने कांग्रेस की राज्य सरकार पर माफिया, भष्टाचार और अवैध खनन को बढ़ावा देने का भी आरोप लगाया। केंद्रीय मंत्री सोम प्रकाश ने यह भी कहा, ” कैप्टन, नवजोत सिंह सिद्धू के बारे में जो बोल रहे हैं वो तो सच है और यह सभी जानते हैं। ”
क्या कैप्टन भाजपा में शामिल होंगे के सवाल का जवाब देते हुए केंद्रीय मंत्री सोम प्रकाश ने कहा कि ” राजनीति में कब क्या हो जाए , कुछ कहा नहीं जा सकता । हालांकि इसके साथ ही उन्होने यह भी जोड़ा कि इस बारे में फैसला पार्टी आलाकमान को करना है।”
बातचीत करते हुए भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता सरदार आर.पी.सिंह ने कैप्टन अमरिंदर सिंह के भाजपा में शामिल होने के सवाल पर कहा, “पहले कैप्टन साहब यह तो तय करे कि परिवार ( गांधी परिवार ) से उनका मोहभंग हुआ है या नहीं और वो आगे क्या करना चाहते हैं । इसके साथ ही उन्होने यह भी जोड़ा कि राजनीति में सभी के लिए सारे रास्ते खुले रहते हैं और अगर कैप्टन भाजपा में शामिल होने की इच्छा जताते हैं तो समय आने पर भाजपा तय करेगी। अभी इस पर कुछ कहना जल्दबाजी है।”
इसके साथ ही सिंह ने यह भी जोड़ा कि भाजपा का मुख्य मुद्दा राष्ट्रीय सुरक्षा है। दरअसल , भाजपा पहली बार अकाली दल से अलग होकर पंजाब में अपने दम पर अकेले विधानसभा चुनाव लड़ने जा रही है। भाजपा के पास राज्य में फिलहाल मुख्यमंत्री पद के दावेदार के तौर पर कोई कद्दावर चेहरा नहीं है। राजनीतिक जानकार भी यह मानते हैं कि कैप्टन जैसे बड़े नेता के साथ जुड़ने का फायदा भाजपा को राज्य में हो सकता है जैसा असम में हुआ था।